रास्ते में चलते हुए बेलबूटे बनाना या शब्दों के ज़रिए एक नई दुनिया का सृजन करना दिक्क़त भरा तो है लेकिन इस दिक्कत में एक अलग तरह का रोमांच है और जाजाबोर ने इस रोमांच को अपने शब्दों के ज़रिए पाठकों तक पहुंचाया है।
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अब की बार पारबती का मुँह गम्भीर हो गया, वह फिर सोचने लगी-देवहूती का ढंग था, वह चार लड़कियों को लेकर सदा खेला करती, किसी को सर गूंधना, किसी को बेलबूटे बनाना, किसी को गुड़िया बनाना सिखलाती-किसी को माला गूँथना, किसी को फूल के गहने बनाना, किसी को पोत पिरोना बतलाती।